आंखों के पानी से प्यास मेरी बुझ गयी! ख्वाबों में तुझे बुना,ख्वाब भी वो टूट गयी! राहतों को सर् लिया राहतें भी रुठ गयी, ज़िन्दगी थी वो मेरी ज़िन्दगी भी छूट गयी! आशिको के इस सहर में आशिकी ही गुम गयी, अब जीकर क्या करूँ ज़िन्दगी ही रुठ गयी! क्या सिला मिला मुझे ऐ इश्क के परवरदिगार, इश्क थी जंहा से और जंहा खुदी से रुठ गयी! मैं तो जिया गुमनाम वो ख़ुदा की हो गयी, गमो के समंदर में ये साहिल भी डूब गयी! मिले कभी किसी सहर तो कहना ऐ मुसाफ़िर उसे, आशिकी थी उससे कभी,आशिकी ही रह गयी! आंखों के पानी से प्यास मेरी बुझ गयी!! ख्वाबों में तुझे बुना,ख़्वाब भी वो टूट गयी!!! #love#poetry#nozoto#music#gazal#sad#thoughts#writers#art#