मेरी एक फंसेली है, जो फंसेली तो है, लेकिन अंतर्ध्यान है। मेरी लाखो गलतियों के बाद माफ कर देती हैं। हमेशा जब कोई मुझे बेवजह सुनाता है... आकर उसे वजह की बातें समझा देती हैं। हमेशा जब बात नही होती है हमारी... आकर खूब डांट लगा देती है। हमेशा जब मैं नाराज़ होती हूँ.... आकर मुझे प्यार से मना लेती है।