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अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए, आ पास बैठ, चल थोड़ा

अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए,
आ पास बैठ, चल थोड़ा बतियाएं,
कुछ तू कहे कुछ मैं कहूं,
आ एक दूजे को फिर एक दूजे से मिलाएं।


(पूर्ण कविता अनुशीर्षक में) 




 अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए,
आ पास बैठ, चल थोड़ा बतियाएं,
कुछ तू कहे कुछ मैं कहूं,
आ एक दूजे को फिर एक दूजे से मिलाएं।

शाम की चाय आज फिर संग बनाएं,
तेरी मीठी बातों की चाशनी उसमें मिलाएं,
कुछ तू सुनाएं, कुछ मैं सुनाऊं,
अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए,
आ पास बैठ, चल थोड़ा बतियाएं,
कुछ तू कहे कुछ मैं कहूं,
आ एक दूजे को फिर एक दूजे से मिलाएं।


(पूर्ण कविता अनुशीर्षक में) 




 अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए,
आ पास बैठ, चल थोड़ा बतियाएं,
कुछ तू कहे कुछ मैं कहूं,
आ एक दूजे को फिर एक दूजे से मिलाएं।

शाम की चाय आज फिर संग बनाएं,
तेरी मीठी बातों की चाशनी उसमें मिलाएं,
कुछ तू सुनाएं, कुछ मैं सुनाऊं,
mahimajain6772

Mahima Jain

New Creator