अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए, आ पास बैठ, चल थोड़ा बतियाएं, कुछ तू कहे कुछ मैं कहूं, आ एक दूजे को फिर एक दूजे से मिलाएं। (पूर्ण कविता अनुशीर्षक में) अरसा बीत गया कुछ पल संग बिताए, आ पास बैठ, चल थोड़ा बतियाएं, कुछ तू कहे कुछ मैं कहूं, आ एक दूजे को फिर एक दूजे से मिलाएं। शाम की चाय आज फिर संग बनाएं, तेरी मीठी बातों की चाशनी उसमें मिलाएं, कुछ तू सुनाएं, कुछ मैं सुनाऊं,