अपने वर्ष के शासनकाल में अंग्रेजों ने भारतीयों का एक उच्च वर्ग बनाने में सफलता पाई है दुर्भाग्य से आजादी के बाद बनने वाले सरकार में इस वर्ग के प्रमुख लोग भी शामिल थे जिन्होंने सत्तारूढ़ होने के बाद देश की राष्ट्रीय भाषा को सा भारत के लिए छोड़ दिया और खुद दिया प्रशासन करते रहे चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा में हिंदी के प्रयोग को इस कुलीन वर्ग ने हमेशा यह कहकर नकार दिया है कि हिंदी में इस क्षेत्र के लिए पर्याप्त शब्दावली उपलब्ध नहीं है अब स्वतंत्रता के 75 वर्ष के बाद देश ने अपनी भाषा में चिकित्सा की पुस्तक पाई है जो राष्ट्रीय के लिए गर्व की बात है उसके लिए निश्चित ही मोदी सरकार साधुवाद के पात्र है पुस्तक के आने पर इस क्षेत्र में काम करने का सिलसिला थमा नहीं चाहिए क्योंकि अब भी देश भारत और इंडिया दो भागों में बताएं इंडिया वाली मानसिकता के लोग क्षेत्रीय भाषा और अन्य मामलों की आड़ लेकर हिंदी में चिकित्सा शिक्षा का विरोध कर सकते हैं ©Ek villain #touch #मध्य प्रदेश का अनुकरण करें अन्य राज्य