तुम्हारें दिए जख़्म आज भी बेइंतहा रिसते हैं, ये ओर बात है किसी को दिखाता नहीं हूँ। तुमसे बेपनाह शिकायतें है आजकल, मगर मैं हूँ कि किसी को बताता नहीं हूँ। भरोसे की दीवारों को गिरा दिया है तुमने, ये सच है कि किसी को सुनाता नहीं हूँ। इस दुनिया की भीड़ में अकेला हूँ मैं, अब किसी को स्वयं सा पाता नहीं हूँ। साँसों का कारोबार जाने कब तक चलेगा, किसी साँस पर अपनी मर्ज़ी चलता नहीं हूँ। तुम्हारी ज़िद्द के आगे मेरा भी बस नहीं चलता, कुछ इसलिए भी अब तुम्हें याद आता नहीं हूँ। #yqdidi #yqtum #yqdard #yqsaaj #yqqaaj #yqsaumi