फख्त-ए-रसूल के उस पायदान पर देखना चाहती हूं.. तू बहुत आगे तक जाये तूझे ऐसे ऊंचे मुकाम पर देखना चाहती हूं.. ..रखके दिल पर पत्थर कर दिया हैं दूर.. तुझे अपनी नजरों से .. अब तेरा खुदा ही तेरा हमसफर.. गिराया खुदको सिर्फ तुझको फलक तक पहुंचाने के लिये जो वादा किया था तुम ने उसे जिंदगी भर निभाना हैं.. हीरा हैं तू .. तेरी अहमियत मैंने जानी हैं.. तभी तो सौंप दिया तुझे जौहरी को.. तुझे तराशने के लिये.. है.खुदा साथ है तेरे हर मोड. पर मैं रहू ना रहू तेरे नाम का सिक्का इस दुनिया मे जरुर चलेगा.. तू बेफिक्री से आगे बढ चल.. यकीन है मुझे तेरी नफरत पर भी .. तू पीछे मुड के ना देखेगा.. दुआ है मेरी दिल से.. तू आसमान का चाँद बन जाये.. तू मुझे भुल जाये.. और तेरी मंजिल का मुसाफिर बन जाये.. खुदा ही तेरी अब मंजिल हैं.. वो ही हैं तेरी पहली और आखिरी इबादत .. यही बात तुझे दिलमें बैठाना हैं.. तुझे फलक तक पहुंचाना हैं.. तेरी आंखों में आसू देख .. वो शख्श खुद भी तो खून के आसू रोया होगा.. कैसे सोच लिया वो तुम्हें खोकर .. खुद के वजूद को ना खोया होगा.. याद करते हैं.. याद करते रहेंगे जिंदगी भर.. तुझको पाकर हम अगर हो जाते मतलबी.. तो तुम्हारी जिम्मेदारियों का क्या होता.. तुम्हें खोकर ही सही पर तुम्हें ही तो पाया हैं.. कर सको सिर्फ उनकी इबादत .. कदम इसलिये अपने पीछे हटाये हैं.. मेरी वजह से अब कोई खलल नहीं आयेगा.. परछाईं भी मेरी अब तुम पर अपनी पढने ना दूंगी.. पत्थर भले ही खुद हो जाउँ.. पर अब तुम्हें रास्ते से ना भटकने दूंगी.. किस्ताब-ए-जिस्त लिखने वाले .. वो तुझे एक दिन ऊंचे मुकाम पर पहुंचायेंगे.. हर खता की माफी आज तुम से मांगते हैं.. दुआ मे ना सही नफरत मे तो मुझे याद करोगे.. ना भूलें हैं और ना भूल पायेंगे कभी तुम्हें.. तुम्हारी ही खातिर हमने खुद को बुरा बनाया हैं.. होंगे कामयाब तुम एक दिन दिल से यही दुआ हैं.. प्रियंका कार्तिकेय hasil ho tuje tera mukam aisi hm dua krte h