By not minding his business doing business आजकल मन अपने खिलाफ हो चला है जो मन कहता है वो मन नहीं करता है। मन खिन्न है पहले से भिन्न है, उच्छलता तो है पर पुलकित नहीं होता है। मन आजकल बावरा सा हो गया है, खुश भी नहीं है, सन्ताप भी नहीं करता है By not minding his business doing business