प्यार में कभी कभी कवित्त - थाली की अभिलाषा लेखक की अभिलाषा की उसकी भोजन की थाली कैसी हो , प्रेम से सराबोर ... आज के भौतिक आडम्बरों से रहित. अपनी इस इच्छा को शब्दों में पिरोया है .. पाठकों के लिए - बाजरे की रोटी ताज़ी चूल्हे से निकाली हुई खूब खरी सेक के धरी हो एक थाली में दाल कारे उरद की मिर्चा भरो लाल और महर महर महके हींग तडकन की लाली में परसै जो तिरछे नैन घूंघट की ओट से प्रियतम का मन भी लगा हो घरवाली में प्रेम का अनोखा रूप दिखे उन आँखों में ज्यों प्रेम ही परोसा जा रहा हो थाली में पुनि पुनि पूछे जाए प्यार से परोसे जाए मन हो प्रफुल्लित अपने मीत की बनौली में स्वर्ग हु ते देवता निहारे और डारे लार .... आम का अचार ज्यों धरा हो एक प्याली में ... मानुष का रूप ही सलोना है जग में ... यही एक बात अब मन की हर बानी में .. - अमित #Nojoto #Kavitt #Poetry #Hindi #Nojotohindi #Foody कवित्त - थाली की अभिलाषा लेखक की अभिलाषा की उसकी भोजन की थाली कैसी हो , प्रेम से सराबोर ... आज के भौतिक आडम्बरों से रहित. अपनी इस इच्छा को शब्दों में पिरोया है .. पाठकों के लिए -