आंखों ही उसकी सब दलीलें दे देती हैं, वकालत करने वाले उसके हैं निराले। कसर रहे तो पंखुड़ी से नाजुक होंठ खुलते, भला कैसे होश संभाले दिलवाले। ©Nitin Sharma (Kumar Nitin) #aankhen