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सब सेल्फियां सहेज कर रखते हो... कुछ किताबें भी लो

सब सेल्फियां सहेज कर रखते हो...
कुछ किताबें भी लो
उन्हें भी पढ़ो
और उन्हें भी सहेजो...
बहोत हलकी होती हैं
मेट्रो में सीट ना भी मिले 
तो गेट वाली सीट पर 
कंधा टिका कर पढ़ सकते हैं... 
मैंने ऐसे बहोत पढ़ी हैं... 1. बहोत पहले एक इंटरव्यू पढ़ा सुना ग्रेट गुलज़ार साहब का जिसमें वो कह रहे हैं "उस किताब ने मेरे जीवन को बदल कर रख दिया...साहित्य के इतने करीब ला दिया...पढ़ने के और जीवन जीने के नज़रिये को ही एक पल में बदल डाला…वह किताब मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुई...वह किताब वाला जब दे रहा था मुझे उस किताब को उस रैक से निकाल कर उसे मालूम ना था कि वह मेरे जीवन का रास्ता निकाल रहा है…और उस किताब का प्रिंट शक्ल वह मंज़र अभी तक याद है " यहां गुलज़ार साहब जिस किताब की बात कर रहे हैं उस किताब का नाम था "The Gardner"
सब सेल्फियां सहेज कर रखते हो...
कुछ किताबें भी लो
उन्हें भी पढ़ो
और उन्हें भी सहेजो...
बहोत हलकी होती हैं
मेट्रो में सीट ना भी मिले 
तो गेट वाली सीट पर 
कंधा टिका कर पढ़ सकते हैं... 
मैंने ऐसे बहोत पढ़ी हैं... 1. बहोत पहले एक इंटरव्यू पढ़ा सुना ग्रेट गुलज़ार साहब का जिसमें वो कह रहे हैं "उस किताब ने मेरे जीवन को बदल कर रख दिया...साहित्य के इतने करीब ला दिया...पढ़ने के और जीवन जीने के नज़रिये को ही एक पल में बदल डाला…वह किताब मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुई...वह किताब वाला जब दे रहा था मुझे उस किताब को उस रैक से निकाल कर उसे मालूम ना था कि वह मेरे जीवन का रास्ता निकाल रहा है…और उस किताब का प्रिंट शक्ल वह मंज़र अभी तक याद है " यहां गुलज़ार साहब जिस किताब की बात कर रहे हैं उस किताब का नाम था "The Gardner"