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हनुमान प्रणाम मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं ब

हनुमान प्रणाम
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिपतां वरिष्टम् ।
वातात्मजें वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शिरसा नमामि।॥।
"मैं अपना मस्तक वानर सेना नायक और
बुद्धिसम्पन्नों में सर्वापरि हनुमान (वायुदेव के पुत्र)
के समक्ष झुकाता हूँ जो विचारों की भान्ति तीव्र
हैं, जो वायु की गति के समान गतिमान हैं और
जिन्होंने अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण कर लिया
है, जिन्होंने श्रीराम के दूत की भूमिका का निवाह
किया है। सीता को उनका संदेश देने और उन्हं
चुरा ले जाने वाले रावण की शक्त का अनुमान
लगाने में।"

©KhaultiSyahi
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