जद्दोजहत सेे ज़िन्दगी की बसर में रहता है , उसका हर दिन एक नए सफर में रहता है। बागबां को है ख़बर कि फूल संग कांटे है, फिर भी वो गुलिस्ता के संवर में रहता है । उस्तादों की शागिर्दी हासिल है उसे , तभी उसका हर शे'र बहर में रहता है । किसी भी सम्त में रहे वो , पर रहता है जरूर घर से बाहर भी बेटा ,माँ की नज़र में रहता है। चंद कागज के टुकड़ो की ख़्वाहिशे पाले, लोग कहते है कि "राणा" शहर में रहता है । यही सोच कर यायावर हो गया "राणा" के, मुश्किलों का आना तो अक्सर घर में रहता है। राह ए ज़िन्दगी #सफ़र #बशर #नज़र #बह्र #शहर