मैं जब दुखी हूं वह चुप है मैं हंसती हूं वह नाचता है मुझे वह दूर खड़ा अशोक का पेड़ कुछ मुझसा लगता है। वही अशोक जिसकी डालो पर बन गए पंछियों के डैने है और जो घर रहेगा उनका अनंत तक समय नदी में सब डूबेगा एक रोज़ मनु, पशु ,खग वग जिंदा रहेगा अशोक लेकिन, कहीं किसी कविता में किसी पन्ने से फिर उग आने को मनु इतिहास जब लिखा जायेगा फिर किसी डायरी के पन्ने मिलेंगे कहीं नीले रंग से पुते हुए पर जिसपर हरे रंग से लिखा होगा अशोक और जो मिलकर इस बार बनेगा लहू ये बताने को कि हरा जिंदा रखना जरूरी है क्योंकि बहता लहू हर बार एकता का चिन्ह नही कभी कभी त्रासदी का रंग है। ©Poonam Rawat अशोक का पेड़ #SunSet #ashok #tree