तृप्त चेतना शांत चित्त ह्रदय ध्वनि उवाच ! आत्म-रत्न जाग्रत करते विचार सभी ! मंत्र का रूप लेते अज्ञान की ये धूप लेते शब्द बाधा ज्ञान आधा विश्राम के उस क्षण श्रोता भी मैं वक्ता भी मैं ! ©prashantwritez #navratri #poetry #poetsofnojoto #nojotopoetry #englishpoetry #lovepoetry #writingcommunity #writersofindia