आंगन छोड़ उदासी का गुटते अरमानो की फांसी का वो बेख़ौफ़ सी पहुँची छत पर खुद को संभाल वो बैठी उस जर्जर दीवाल दिल मे लिये कई मलाल सहसा बालो को सहलाती कभी रोती कभी खुद को समझाती तंगी में उमंगो से थी सराबोर छत पे ही छोड़ वो उठकर चल दी सारे भाव विभोर । #ravikirtikikalamse #ravikirti_poetry #yqdidi #उदासी #lovestory #albeli #रविकीर्ति_झलकियाँ