हर बात कविता नहीं होती कुछ बातें समझाने लायक भी होती हैं लड़कपन यानि की बहकते कदम गलत संगत का असर(एक चार फुट की दीमक लगी लड़की sorry लकड़ी पूरे घर के फर्नीचर (Society) को खत्म कर सकती है) मां बाप से धोखा(दीपक तले अंधेरा) दादा-दादी,नाना-नानी की औकात ही क्या है ,खुद भी हंसी उड़ाओ और friends से भी उड़वाओ। बात संस्कारों की नहीं है, औलाद तो मां बाप के सच्चे मन की कृति (रचना) है। यह teen age अर्थात ना जवानी,ना बचपन बर्बादी की कगार पर खड़ा बचपन जिसे अपने बड़े बूढों से नफरत है। ©Harvinder Ahuja #बहकता बचपन #Silence