ओ मां भी कितनी खुशनसीब होगी जिसने वीरों को गर्भ में पाली होगी ओ पिता भी कितना खुशनसीब होगा जिसने दिल पर पत्थर रख कर मां भारती की रक्षा में भेजी होगी ओ बहन भी कितनी खुशनसीब होगी जिसने राखी के दिन रोई होगी ओ भाई भी कितना खुशनसीब होगा जिसने भाई को बंदूकों में देखी होगी ओ मिट्टी भी कितनी खुशनसीब होगी जिसने शहीदों के शव से लिपटी होगी बारिश की बूंद भी कितना खुशनसीब होगा जिसने शहीदों को चूमती होगी