दूरियों का गम,अगर तुम्हे हो, तो मुझे क्या.. फरहीन... तुम्हे अब मेरी खबर हो तो मुझे क्या... अब राख भी बाकी नहीं मेरे दिल ओ जिगर की.. तुम अब अपना दिल सजा कर लाओ तो मुझे क्या.... अब मेरे दिल के वीरान में उजाला नहीं होता... तुम जगमगाता शहर भी हो तो मुझे क्या... अच्छा ही है कि बिन मेरे गुजर जाए किसी की... और यूं भी ना किसी की गुजर हो तो मुझे क्या.. और मेरे अल्फाजों की सागर... दीवानी है पूरी दुनिया... गर एक तुझे पसंद ना आए... तो मुझे क्या... #ars मुझे क्या.. || mujhe kya ||