सिलेंडर 1000 के पार हो लिया, रोटी खाना दुश्वार हो लिया। सब्जी तो रिश्तेदारी में ई मिलै, घरां तो शुरू नमक और आम का अचार हो लिया। नौकरी नौकरी तो थी नी, एक दुकान सी करी थी, कोरोना तै ठप्प वा भी, कारोबार हो लिया। फसल नै कदे सुखा, तो कदे बरसात मार दे, खेत बिकण नै तैयार सैं, इतना कर्जदार हो लिया। पेट्रोल में ऐसी आग लगी, कार बाइक पै धूल चढी, साइकिल चलाण पै मजबूर, थारा यार हो लिया। विकास की आस मै, नाश हो ग्या रेै, विकास पैदा करणिया, छोड़कै लुगाई फरार हो लिया। नेता देश नेै खागे, और महंगाई घरां नेै, मिडिल क्लास तो जहर खाण नै, तैयार हो लिया। 'ओमबीर काजल' कोई बात ना करता, महंगाई शिक्षा रोजगार की, जो सरकार के खिलाफ बोलै, वो देश का गद्दार हो लिया। ©Ombir Kajal 1000