मैं हमेशा से चाहता था,कि तुम्हें चिट्ठियां या खत लिखा करुं, मगर हमेशा ये सोच के ठहर जाता था, कि तुम क्या सोचोगी।कि ये कैसा आदमी है जो कम्बख्त जी पी एस के ज़माने में पेन और पेपर से चिट्ठी लिख रहा है।मगर बात दरअसल ये है कि, मैं खत लिखना चाहता हूं इसके पीछे एक खास कारण है।जानना चाहती हो क्या? नहीं, ये बिलकुल भी मत सोचना कि शायद मैंने अभी अभी कोई सूफी मेलोडी सुनी है, या चिठ्ठी आती है मुझे तड़पाती है जैसा कोई दूसरा गाना,नही बिलकुल नही। बात ये है कि, जब कोई किसी कि खातिर लिखता है तो मायने ये नही रखता कि वो कितना लिखता है, मायने ये रखता है कि, वो लिखने से पहले कितना सोचता है,उस सख्स के बारे में, हलाकि तुम्हे पता है मैं कितना आलसी हूं, हाँ मगर ये भी सच है कि मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचना चाहता हूं, इसलिए ये जहमत भी कर रहा हूं। मुझे पता है कि ये पढ़ कर तुम खूब हस रही होगी, मगर ये भी सच है कि खत लिखने वाले आशिक़ों कि आशिक़ी ज़माने में पढ़ी जाती है,मिसालों कि तरह। तो अगर आपकी इजाजत हो तो क्या अब मैं अपने इस दौर ए आशिक़ी को खतों में दर्ज कर सकता हूँ, क्या मैं तुम्हे खत लिख सकता हूं। जवाब लिख कर देना। my first letter. #letter