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मक़्तल-ए-जाँ से कि ज़िंदाँ से कि घर से निकले हम तो

मक़्तल-ए-जाँ से कि ज़िंदाँ से कि घर से निकले
हम तो ख़ुशबू की तरह निकले जिधर से निकले
"उम्मीद फ़ाज़ली"

©Sunayana Verma #शेरोशायरी उम्मीद फ़ाज़ली का शेर उम्दा
मक़्तल-ए-जाँ से कि ज़िंदाँ से कि घर से निकले
हम तो ख़ुशबू की तरह निकले जिधर से निकले
"उम्मीद फ़ाज़ली"

©Sunayana Verma #शेरोशायरी उम्मीद फ़ाज़ली का शेर उम्दा