क्या सोचते रहते हो दिन रात यूँ चुप-चुप रहते हो खोया पाया कि चक्कर मे खुद को खुश नहीं रखते हो क्या ठीक कभी कर पाओगे उलझन कभी सुलझा पाओगे जब तक सांस चलेगी ये इनका चलना भी तय है फिर सोंच में व्यर्थ गंवाना क्या इस जीवन को उलझाना क्या सबको दिल से माफ् करें जो मिला उसे स्वीकार करें। #रातकाअफ़साना #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #instantpoetry #life