सुना है इंसान के साथ सिर्फ नाम जाता है , या ताउम्र कर्मो का हिसाब तमाम जाता है ! पर यूँ तो काम मेरा भी एक ही है , फिर क्यों वेश्या रंडी तवायफ मेरे नाम अनेक है ! पहले नाम फिर काम फिर दाम , सुबह दुपहर और हर ढलती शाम ! बस जिंदगी हो गयी मेरी भी अजीब पहेली , न मेरा कोई अपना यूँ तो में हूँ सबकी चमेली !