राम दशरथ नंदन , सीता जनक दुलारी है राम राजा अयोध्या के , सीता वनदेवी अभागी है राम धारा प्रेम की , सीता प्रेम की सिन्धु है राम वचन परायण निपुण , सीता सप्त वचन ले रामसंग आयी है । राम मर्यादा पुरुषोत्तम , सीता पतिव्रता नारी है राम प्रजा के हितैषी , सीता राम हितैषी है राम राजधर्म में व्यस्त , सीता वन में लव कुश को संस्कारित करती है राम कलंक से भयभीत,सीता उसी कलंक में जीवन अपना बिताती है । गर्भावस्था में राम ने त्यागा जिसे सीता अरण्य में भी राम नाम की रट लगाती है थी महलों की रानी वो जिसके नौकर चाकर अनेक विधिना की मारी कंदमूल खा , धरणी धरा पर सेज सजाती है । सीता राम #yqbaba #yqdidi #ramayana #seeta #controversy #mythology #myviews