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््पूण्यस्मरण ्् ््सिख्ख पंथ की मनोकामणा ्् ््शीर्ष

््पूण्यस्मरण ््
््सिख्ख पंथ की मनोकामणा ््
््शीर्षक ््
््महामना गुरु नाणक जी
अमृत सार ््
््
गुरु संगत की प्रेमणी,
जपत खपत वो पाय।
णाम तेरो भजण करी,
जगत मगण हो जाय।
नमण धमण की प्रेरणा,
नाणक णा में पाय।
इणा जणम को फैरणौ,
उंच नीच णा पाय।
धण का कोई मोल नहीं,
सेवादार की फौज।
अमृतवाणी बाटिणे, 
ज्ञान को लंगर होय।
निरंकारी खालसा,
गुरु साहेब को पाठ।
नाणक णा की वाणी से,
जग तारण होय।
पंथ गुरूणा सारथी,
शबद गुरुणा सार।
निर्राकार की कामणा,
गुरुवाणी में एक।
सब तीरथ को सार है,
अमृतसर को व्दार।
््
कवि शैलेंद्र आनंद
14 अप्रैल 2023

©Shailendra Anand
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