Nojoto: Largest Storytelling Platform

अतीत की कुछ परछाइयाँ चेहरों पे नाक़ाबें असल मेरे आज

अतीत की कुछ परछाइयाँ
चेहरों पे नाक़ाबें असल
मेरे आज से हो रही थी रूबरू
किसी पल का झोंका
अंधेरे इस मन की खिड़कियाँ
तोड़ के ले चुरा चली जुस्तजू
मैंने दरवाज़ा खोला
मैं था,ठहरी तिश्नगी मेरी और
चंद साँसों की मेहमान, आरज़ू

©paras Dlonelystar
  आरज़ू
#parasd #nojotocollab #आरजू #तिश्नगी #साँसें #दरवाज़ा  रविन्द्र 'गुल' ek shayar Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Anjali Yadav अहिरानी Lucknow Vikram vicky 3.0