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#RIP#Moumita वहशियत ने आज कर दी फिर से हर सीमा


#RIP#Moumita 
वहशियत ने आज कर दी 
फिर से हर सीमा पार 
 फिर से एक निर्भया का 
हो रहा था बलात्कार
केवल जिस्म का ही नहीं,
 हुआ उसकी रूह का भी बलत्कार
 लुट रही थी अस्मिता, 
बचाने को न भाई था और न पिता 
भूख इतनी थी बड़ी कि, 
 स्वान -सा उसपर टूट कर, 
कर दिया हर अंग भंग 
 एक निर्भया आज फिर से 
दरिंदे को चढी बली 
 खून से लथपथ हाय!
कुचली पड़ी कुसुम कली 
 क्या कहूँ?,क्या नाम दूँ?
 दरिंदा कहूँ या नरभक्ष कहूँ?
 अपने ही घर - देश में सुरक्षित
 अब नहीं है आबरू 
 यह कोई नई बात है नहीं, 
और ना है कोई नई कथा
 'स्मृति'आज सबसे पूछती 
आखिर कब तक चलती रहेगी यह कलंक कथा?
 आखिर कब तक चलती रहेगी यह कलंक कथा?

©स्मृति.... Monika
  #sorrow#RIP#Moumita  sad poetry