सही है बशर्ते पांचों स्तंभ हो मजबूत । आज तो नजर आ रहे सारे के सारे मजबूर ।। विधायिका स्वार्थ सनी, कार्यपालिका अधीन दबी । न्यायपालिका डरी सहमी, पत्रकारिता बिकी हुई ।। पाँचवां स्तंभ है जनता, जिसकी कोई नहीं सुनता । लोकतंत्र बस नाम का, मुँह ढ़क के रुदन करता।। हे राम... #democraticindia #YourQuoteAndMine Collaborating with Ankita Mishra