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एक याद एक याद है खुशबू जैसी, भीनी-भीनी धुँधली-धुँ

एक याद

एक याद है खुशबू जैसी, भीनी-भीनी धुँधली-धुँधली,

एक याद है आँसू जैसी, रुकी-रुकी सी गिरती गिरती,

एक याद साँसो जैसी है, आती-जाती घङी घङी,

एक याद आँखों जैसी है, खुली-खुली सी मुँदी मुँदी।

एक याद है बादल जैसी, बरस गई टकराकर जो,

एक याद गंगाजल जैसी, पावन मन में आकर जो,

एक याद रातें बरसाती, बिजली संग डराकर जाती,

एक याद तूफान बाद दिन, फिर निकला मुस्काकर जो।

एक याद है रिश्तों जैसी, जुङे हुए पर टूटे से,

एक याद है किश्तों जैसी, बँधे हुए न छूटे से,

एक याद नानी का किस्सा,थोङा झूठा थोङा सच्चा,

एक याद वो साफ बहाने, सच भी लगते झूठे से।

एक याद रह-रह कर आती, एक दफन है सीने में,

एक याद कुछ कह कर जाती, एक लगी मुँह सीने में,

एक याद जो हर पल रहती, हर पल 'मुझे भुला दो' कहती,

एक याद है 'रुपक' जैसी,आँसू धुले पसीने में।

रुपेश पाण्डेय 'रुपक'
अभिलेख, 2009 #Memories #Emotions #Hindi #Poetry
एक याद

एक याद है खुशबू जैसी, भीनी-भीनी धुँधली-धुँधली,

एक याद है आँसू जैसी, रुकी-रुकी सी गिरती गिरती,

एक याद साँसो जैसी है, आती-जाती घङी घङी,

एक याद आँखों जैसी है, खुली-खुली सी मुँदी मुँदी।

एक याद है बादल जैसी, बरस गई टकराकर जो,

एक याद गंगाजल जैसी, पावन मन में आकर जो,

एक याद रातें बरसाती, बिजली संग डराकर जाती,

एक याद तूफान बाद दिन, फिर निकला मुस्काकर जो।

एक याद है रिश्तों जैसी, जुङे हुए पर टूटे से,

एक याद है किश्तों जैसी, बँधे हुए न छूटे से,

एक याद नानी का किस्सा,थोङा झूठा थोङा सच्चा,

एक याद वो साफ बहाने, सच भी लगते झूठे से।

एक याद रह-रह कर आती, एक दफन है सीने में,

एक याद कुछ कह कर जाती, एक लगी मुँह सीने में,

एक याद जो हर पल रहती, हर पल 'मुझे भुला दो' कहती,

एक याद है 'रुपक' जैसी,आँसू धुले पसीने में।

रुपेश पाण्डेय 'रुपक'
अभिलेख, 2009 #Memories #Emotions #Hindi #Poetry
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