#मौसम की "दिलकशीं", बेकरारी बढ़ाने लगी। "धड़कने" दिल की, कुछ गुनगुनाने लगी। "वादियां" बांहें खोल कर, हमें बुलाने लगी। चले आओ पास मेरे,