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" जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं , हमारी अभी उस तर

" जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं ,
हमारी अभी उस तरह से बात बनी नहीं ,
चाहता हूं ये दिल राजे वफा खोल दूं ,
अभी हमारी मुलाकात उस तरह से मुकर्रर हुई नहीं . "

                    ---   रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram Pic : pexels.com

" जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं ,
हमारी अभी उस तरह से बात बनी नहीं ,
चाहता हूं ये दिल राजे वफा खोल दूं ,
अभी हमारी मुलाकात उस तरह से मुकर्रर हुई नहीं . "

                    ---   रबिन्द्र राम
" जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं ,
हमारी अभी उस तरह से बात बनी नहीं ,
चाहता हूं ये दिल राजे वफा खोल दूं ,
अभी हमारी मुलाकात उस तरह से मुकर्रर हुई नहीं . "

                    ---   रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram Pic : pexels.com

" जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं ,
हमारी अभी उस तरह से बात बनी नहीं ,
चाहता हूं ये दिल राजे वफा खोल दूं ,
अभी हमारी मुलाकात उस तरह से मुकर्रर हुई नहीं . "

                    ---   रबिन्द्र राम