कुछ बातें जमाना बीत गया, पर कुछ कहना रह गया | आज झिक्र बेहिसाब करते हैं, नफरत जो थी,चल उन्हें भुलाकर बात करते हैं| कुछ तेरे और मेरे, गलतियों का हिसाब करते हैं| वादा कर गलतियों को माफ कर, हम एक नई शुरुआत करते हैं | रिश्ते को तोडऩे की बात, यह लोग भी बोलकर कमाल करते हैं| तू हैं मेरा-मैं हू तेरी, क्यों ना यह प्यार एक साथ करते हैं| रास्तों के कंकडों को उठाकर, उलझे हुए किस्सो का जवाब करते हैं| हम भी हैं एक, चल साथ मिल कर अपनी मंजिल की तलाश करते हैं | -रीना यादव(कवियत्री) #Thoughts #reenayadav #Like #Comment #love#kuchbaate#