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ये शाम ढलने दो जरा, रात के पहर को आने दो जरा, बह ज

ये शाम ढलने दो जरा,
रात के पहर को आने दो जरा,
बह जाने दो गमों को अश्क़ों से,
इन अश्क़ों को मोती बन जाने दो जरा,
ये शाम अभी है,ग़मगीन,
किसी दिन होगी हसीन,
खुद को चाँद की रोशनी में,
भीग जाने दो जरा,
ये शाम ढलने दो जरा,
क्यों खोये हुए हो,
अतीत के पन्नो में,
वर्तमान में दो पल,
ठहरो तो जरा,
निकल आओगे सारे चक्रव्यूहों से,
बस खुद को सोने की तरह,
तपने दो जरा,
ये शाम ढलने दो जरा.....✍️
ये शाम ढलने दो जरा,
रात के पहर को आने दो जरा,
बह जाने दो गमों को अश्क़ों से,
इन अश्क़ों को मोती बन जाने दो जरा,
ये शाम अभी है,ग़मगीन,
किसी दिन होगी हसीन,
खुद को चाँद की रोशनी में,
भीग जाने दो जरा,
ये शाम ढलने दो जरा,
क्यों खोये हुए हो,
अतीत के पन्नो में,
वर्तमान में दो पल,
ठहरो तो जरा,
निकल आओगे सारे चक्रव्यूहों से,
बस खुद को सोने की तरह,
तपने दो जरा,
ये शाम ढलने दो जरा.....✍️