दोस्ती तो मशहूर थी दस्ते कलम तेरी न जाने किस गली में एहसास खो गए जमते थे बखूब लफ्ज़ और मिजाज़ भी न जाने कब लफ्ज़ सियाह जम गए था दौर गुफ़्तगू का तलत दिल अजीज़ राब्ता-ए-सुखन के वो अंदाज़ खो गए #misunderstandings#yqfriendship#yqlove#missinglinks#mislinking#yqhealth#yqyouandme