ना जाने कब सूबह हुई और कब साँझ हो गई मैं मुंतज़िर में था और तुम बेखबर बन सो गई ना जाने कब सूबह हुई और कब साँझ हो गई मैं मुंतज़िर में था और तुम बेखबर बन सो गई