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बनना चाहती थी रूह तुम्हारी तुम्हारा पैरहन भी न बन

बनना चाहती थी रूह तुम्हारी
तुम्हारा पैरहन भी न बन सकी

लिपट जाती तन से तुम्हारे
उससे पहले ही तर्क
 कर दी गयी

एक सिलवट तक तो
 मुझ पे पड़ी न  तुम्हारी
कोरी की कोरी रह गयी

बनना चाहती थी रूह तुम्हारी
तुम्हारा पैरहन तक न बन सकी
 musings - 7/9/18
बनना चाहती थी रूह तुम्हारी
तुम्हारा पैरहन भी न बन सकी

लिपट जाती तन से तुम्हारे
उससे पहले ही तर्क
 कर दी गयी

एक सिलवट तक तो
 मुझ पे पड़ी न  तुम्हारी
कोरी की कोरी रह गयी

बनना चाहती थी रूह तुम्हारी
तुम्हारा पैरहन तक न बन सकी
 musings - 7/9/18