कैफियत न पूंछो हाल-ए-दिल तो नजरों से ही झलक रहा है कितना दर्द भरा है दिल में बिन आंसुओं के ही छलक रहा है कैफियत-हाल बेदम शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से कैफियत न पूंछो