चंचल चितवन तन में है अगन थिरकते हैं अंग अंग , धधकते हैं बंद बंद अंगार लिए उभार और उतार के तरंग ... रस रस छलकत जैसे उल्फत पिय संग लिपटे मन मगन पिय संग रहते अंग अंग लिए फुहार खिले मन तरंग पिय की मतवारी प्रेम प्रसंग #neerajwrites erotica #neerajwriteserotica