कामिल मिट्टी का कारीगर लगता है मौला वो कोई कूजागर लगता है जिनकी ख़ातिर है वो सब छोड़ा हमने कहते तुमको मरने से डर लगता है आँसू रखता है अपने जो पर्दे में वो इंसाँ ही सबको पत्थर लगता है अपने बूढ़ों को बच्चों तुम आदर दो उनके होने से ही घर, घर लगता है जब से समझा मैने उसकी रहमत को तब से हर दर उसका ही दर लगता है वालिद ने था ये भी समझाया मुझको कुछ भी नइ फिर सब कुछ क्यों जर लगता है पेश है एक ग़ज़ल... #कूजागर - कुम्हार #जर - धन,संपत्ति #ghazalgo_fakeera #fakeera_series #yqbaba #yqdidi #ghazal