मेरे चश्म-ए-मस्त को मेरे हम-नशीं तेरा इंतज़ार है तेरे हसरत-ए-दीद को पूरा करने क़ल्ब इज़्तिरार है तुम एक बार तो आओ मेरे दिल के आशियाने में मैंने भी करना सर-ए-महफिल में इश्क़ का इज़हार है चाहत-ए-ख़य्याम है,पहली मुलाक़ात होगी मयख़ाने में क्योंकि साक़ी बन तूने ही तो जाम पिलाना बार बार है ग़र तुमने अपनी कातिल निगाहें मुझसे हटाकर किसी ओर पर चलाई ना तो फोड कर तेरी आँखे करना दो से चार है "तेरे बिन मर जाऊँगा" ऐसी बातें भी कही ना तो तुम्हें पड़नी मेरे मेहंदी वाले हाथों की जोरों से मार है अब आ भी जाओ ना मेरे सनम,मेरे हमदम मुझे तुमसे करनी है अनबन और ऊटपटांग बातें हजार तुम्हें ही तो बन फ़रेबी चुराना है मेरे दिल को क्योंकि ' राही ' के दिल के आशियाने के तुम ही तो हो हक़दार ❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇❇ मेरे चश्म-ए-मस्त को मेरे हम-नशीं तेरा इंतज़ार है तेरे हसरत-ए-दीद को पूरा करने क़ल्ब इज़्तिरार है तुम एक बार तो आओ मेरे दिल के आशियाने में मैंने भी करना सर-ए-महफिल में इश्क़ का इज़हार है