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यूँ ही चुपचाप बैठकर कभी सूर्योदय देखा है जीवन को इ

यूँ ही चुपचाप बैठकर
कभी सूर्योदय देखा है
जीवन को इक नई उर्जा भर देता है
नदी को उछलते, गाते देखना
इक नई उमंग जगा देता है
लहलहाते खेतों में बैठकर
सूर्यास्त देखो तो यूँ आभास
होने लगता है, जैसे सारे गमों का
अस्त हो, मन शीतलता से भर गया 
पर इस भागती दौडती जिन्दगी में 
वक़्त ही कहाँ मिल पाता है
चुपचाप बैठने के लिए
शरीर से बैठ भी जाए तो भी,
दिमाग से कहाँ शाँत हो पाते है,


 यूँ ही चुपचाप
#chupchaap #collab #yqbhaijan  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Bhaijan
यूँ ही चुपचाप बैठकर
कभी सूर्योदय देखा है
जीवन को इक नई उर्जा भर देता है
नदी को उछलते, गाते देखना
इक नई उमंग जगा देता है
लहलहाते खेतों में बैठकर
सूर्यास्त देखो तो यूँ आभास
होने लगता है, जैसे सारे गमों का
अस्त हो, मन शीतलता से भर गया 
पर इस भागती दौडती जिन्दगी में 
वक़्त ही कहाँ मिल पाता है
चुपचाप बैठने के लिए
शरीर से बैठ भी जाए तो भी,
दिमाग से कहाँ शाँत हो पाते है,


 यूँ ही चुपचाप
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