यूँ ही चुपचाप बैठकर कभी सूर्योदय देखा है जीवन को इक नई उर्जा भर देता है नदी को उछलते, गाते देखना इक नई उमंग जगा देता है लहलहाते खेतों में बैठकर सूर्यास्त देखो तो यूँ आभास होने लगता है, जैसे सारे गमों का अस्त हो, मन शीतलता से भर गया पर इस भागती दौडती जिन्दगी में वक़्त ही कहाँ मिल पाता है चुपचाप बैठने के लिए शरीर से बैठ भी जाए तो भी, दिमाग से कहाँ शाँत हो पाते है, यूँ ही चुपचाप #chupchaap #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan