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आज़ादी 1.मेहमान बनकर आये थे वे हमारे देश में,दुश्मन

आज़ादी
1.मेहमान बनकर आये थे वे हमारे देश में,दुश्मन थे हमारे व्यापारियों के वेश में
हमपर राज कर हमें फ़क़ीर बना दिया ,भारत भूमि के बीचों बीच एक लकीर बना दिया।
2.1758 के बाद उन्होंने जीती हर बाज़ी,हमारे राजाओं को कर संधि के लिए राजी
स्थापित करके भारत में अंग्रेज़ी राज को,पूरी तरह बदल दिया उन्होंने हमारे आज को।
3.कई लोग उठे पर दबा दिए गए ,काला पानी में बंदी वे बना लिए गए
कई बार उठी मांग हमारी आज़ादी की,पर बात सुनी नही गयी भारतीय फरियादी की।
4.भारत में अंग्रेजों का खेल यही सारा था,हम लोगों ने जब जब आज़ादी को पुकारा था,
मोप्लह से लेकर जलियांवाला बाग तक उन्होंने हमको मार था।
5.उन्नीसवीं शताब्दी 1857 का साल था ,भिखारियों से बुरा हिंदुस्तानियों का हाल था
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक साथ थे,अंग्रेजों से मुक्ति के लिए हाथों में हाथ थे।
6.अंग्रेज़ी शासन हिल गया भारतीय प्रयास से ,शासन व्यवस्था निकल गयी कंपनी के पास से,
भले ही इस नाकाम कोशिश में सेनाएं हमारी हारीं थीं,पर फिरभी आज़ादी की जल चुकी चिंगारी थी। 
7.स्थापित हुआ राज अंग्रेज़ी रानी का ,एक नया अध्याय शुरू हुआ इस कहानी का,
बेहतर राज का दिलासा दे जीता हमारा विश्वास,भारतीय भी खुश होकर लगा बैठे उनसे आस।
8.अंग्रेज़ो ने की कई कोशिशें भारतीयों को बांटने की ,राजाथान पंजाब सिंध से लेकर बंगाल को काटने की
हम बंटे भी हमारा साहस डगमगाया था ,हम लोगों ने खुद को लाचार बहुत पाया था।
9.फिर कई आंदोलन हुए नेहरू गांधी सुभाष की पुकार से,खत्म हुई ये लड़ाई अंग्रेजों की हार से
पर ज़हर मिलाया था अंग्रेजों ने हममे जो फूट का ,चुकाना पड़ा हिसाब भारत को टूट कर।
10.आज़ादी के बाद बढ़ रहे विकास के रास्ते ,कर देंगे कुछ भी हम भारत के वास्ते
भारत के आज़ादी की कहानी कहता ये इतिहास है ,बना रहे देश आज़ाद हमारा ऐसी मुझको आस है।।
©®श्लोक वत्सल #independenceday,#15august,
#britishrule
आज़ादी
1.मेहमान बनकर आये थे वे हमारे देश में,दुश्मन थे हमारे व्यापारियों के वेश में
हमपर राज कर हमें फ़क़ीर बना दिया ,भारत भूमि के बीचों बीच एक लकीर बना दिया।
2.1758 के बाद उन्होंने जीती हर बाज़ी,हमारे राजाओं को कर संधि के लिए राजी
स्थापित करके भारत में अंग्रेज़ी राज को,पूरी तरह बदल दिया उन्होंने हमारे आज को।
3.कई लोग उठे पर दबा दिए गए ,काला पानी में बंदी वे बना लिए गए
कई बार उठी मांग हमारी आज़ादी की,पर बात सुनी नही गयी भारतीय फरियादी की।
4.भारत में अंग्रेजों का खेल यही सारा था,हम लोगों ने जब जब आज़ादी को पुकारा था,
मोप्लह से लेकर जलियांवाला बाग तक उन्होंने हमको मार था।
5.उन्नीसवीं शताब्दी 1857 का साल था ,भिखारियों से बुरा हिंदुस्तानियों का हाल था
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक साथ थे,अंग्रेजों से मुक्ति के लिए हाथों में हाथ थे।
6.अंग्रेज़ी शासन हिल गया भारतीय प्रयास से ,शासन व्यवस्था निकल गयी कंपनी के पास से,
भले ही इस नाकाम कोशिश में सेनाएं हमारी हारीं थीं,पर फिरभी आज़ादी की जल चुकी चिंगारी थी। 
7.स्थापित हुआ राज अंग्रेज़ी रानी का ,एक नया अध्याय शुरू हुआ इस कहानी का,
बेहतर राज का दिलासा दे जीता हमारा विश्वास,भारतीय भी खुश होकर लगा बैठे उनसे आस।
8.अंग्रेज़ो ने की कई कोशिशें भारतीयों को बांटने की ,राजाथान पंजाब सिंध से लेकर बंगाल को काटने की
हम बंटे भी हमारा साहस डगमगाया था ,हम लोगों ने खुद को लाचार बहुत पाया था।
9.फिर कई आंदोलन हुए नेहरू गांधी सुभाष की पुकार से,खत्म हुई ये लड़ाई अंग्रेजों की हार से
पर ज़हर मिलाया था अंग्रेजों ने हममे जो फूट का ,चुकाना पड़ा हिसाब भारत को टूट कर।
10.आज़ादी के बाद बढ़ रहे विकास के रास्ते ,कर देंगे कुछ भी हम भारत के वास्ते
भारत के आज़ादी की कहानी कहता ये इतिहास है ,बना रहे देश आज़ाद हमारा ऐसी मुझको आस है।।
©®श्लोक वत्सल #independenceday,#15august,
#britishrule