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वज़ूद जैसा भी सही मेरा, *मुगरहाँ_के_नीम* की याद अ

वज़ूद जैसा भी सही मेरा, 
*मुगरहाँ_के_नीम* की याद अभी बाकी है। 

कलिजुग का परिवेश जैसा भी सही, 
वो पुराना *विरसा* अभी भी बाकी है।

और सब कहते हैं नाम हो रहा है मेरा, 
पर *बापू_तेरी_नई_पहचान* बनाना अभी बाकी है।

©अभिषेक मिश्रा "अभि"
  #सोनू_की_कलम_से 
#विरसा