© Vibrant_writer वह तुम्हारा सही करूं तो चुप रहना याद आता है, और गलत करने पर मुझे टोकना याद आता है। वह तुम्हारा गुस्सा करना फिर बाहों में भरना, दुनिया और मेरे बीच ढाल बनना याद आता है। वह तुम्हारा सच्चाई के लिए दुनिया से लड़ना, अकेले होकर भी किसी से ना डरना याद आता है। वह तुम्हारा अपने उसूलों के लिए जान पर खेलना, पूरी जिंदगी अपने आदर्शों को जीना याद आता है। फिर तुम्हारा दुनिया से जीतना पर अपनों से हारना, अचानक दुनिया से अलविदा कहना याद आता है। तुम्हारा सुकून में सुलाना सवेरे जगाना कमी खलती है, दद्दा मुश्किलों मे वो सर पे तुम्हारा हाथ याद आता है। दद्दा आज होते तो 90 के होते हैं 4/4/1929 #दद्दायादआताहैं #dadaji #nanaji #bapa #vibrant_writer कलम बोल रही हैं.... #pritliladabar #yqdidi #yqhindi