वृष्टि वृष्टि ये चहुँओर चहकती,महकती वृष्टि सावरा पिया मोरा,चलाऐ बाण,बावरी उसकी दृष्टि घायल मनवा बारम्बार,मोह में उसके खींचा जाए खुल गई गिरह,हो गयी स्वरबद्ध ये मोरी सृष्टि! #nojotohindi#MeriKalamSeRajSargam#वृष्टि