कर बुलंद खुद को, विचारों को ले जाओ ऊंचाइयों में, किस्मत कितनी भी बुरी हो, मेहनत के आगे झुकी जाती है, हौसलो की चाहत गिरते हुए को भी संभाल देती है, 'पा लेना ही सब कुछ नहीं है, 'अपने भीतर एक उम्मीद की लौ हमेशा जलाए रखना, 'आंधियों में भी अपने आप को टिकाए रखना, 'बिन मेहनत के तख्तो ताज हासिल नहीं होते, 'आराम परस्त इंसान के विचार शून्य हो जाते,,,,, तू खुद में ही संपूर्ण है भीतर झांक तो सही,,, क्यों बाहर खाक छानता है अपने भीतर आनंद को महसूस कर तो सही,,, बड़े-बड़े शहंशाह आए और चले गए ,, लूटा देशों को दुनिया को कुछ हासिल नहीं हुआ