मेरा इश्क बनारस सा है। मेरा इश्क बनारस सा है मेरा इश्क बनारस सा है। कभी निर्मल गंगा जल सा छलकता है, कभी दशाश्वमेध घाट सा शांत मन में ठहरता है, कभी गोदौलिया बाजार सा