कोशिशें तो बहुत की थी, मगर उसे तोड़ न सका हौसलों की ये उड़ान थी, जिसे तूफ़ान मोड़ न सका जब हार गया थक के वो, पहचान तब बन गई कागज़ की एक नाव थी, जो मिसाल बन गई ज़माने ने नहीं की है, कभी परवाह ख़ाक की जमीन से वो उठी थी, जो मोती में बदल गई... © abhishek trehan 🎀 Challenge-261 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।