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किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं +++++++++++++++++

किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं
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तुम्हें किस नाम से मैं पुकारू ,

किन शब्दों से तुम्हें प्यार से मारूं।

तुम्हें जहर कहूं या अमृत का प्याला ,

खुद को खुद हो तुम मारने वाला ।

सनातन धर्म आत्मा है तड़पती धरती का ,

शायद तुम ही अंत हो सनातन संस्कृति का ।

तुम पर पत्थर से प्रहार करूं या फूल से मारूं ,

किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारुं ।

तुम्हें किस नाम से मैं पुकारूं ,

किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं ।

किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं ।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar #किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं।
किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं
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तुम्हें किस नाम से मैं पुकारू ,

किन शब्दों से तुम्हें प्यार से मारूं।

तुम्हें जहर कहूं या अमृत का प्याला ,

खुद को खुद हो तुम मारने वाला ।

सनातन धर्म आत्मा है तड़पती धरती का ,

शायद तुम ही अंत हो सनातन संस्कृति का ।

तुम पर पत्थर से प्रहार करूं या फूल से मारूं ,

किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारुं ।

तुम्हें किस नाम से मैं पुकारूं ,

किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं ।

किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं ।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar #किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं।