#NationalEducationday जामुन का पेड़ #जामुन_का_पेड़ बहरहाल, ICSE काउंसिल की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया है कि 2020 और 2021 की बोर्ड परिक्षाओं में इस कहानी से सवाल नहीं पूछे जाएंगे। 'द टेलीग्राफ' अखबार ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस कहानी को कुछ अधिकारी मौजूद केंद्र की सरकार की आलोचना के तौर पर देख रहे थे। अखबार के अनुसार ICSE काउंसिल के सचिव और मुख्य कार्यकारी गैरी एराथन ने बताया, 'इस कहानी को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि ये 10वीं के छात्रों के अनुरूप नहीं थी।' उन्होंने ये नहीं बताया कि क्यों और किसने इस कहानी को लेकर ऐतराज जताया था। आखिर क्या है कृष्ण चंदर की 'जामुन की कहानी', पढ़िए... जामुन का पेड़ (लेखक: कृष्ण चंदर) रात को बड़े ज़ोर का अंधड़ चला. सेक्रेटेरिएट के लॉन में जामुन का पेड़ गिर पड़ा. सुबह जब माली ने देखा तो उसे मालूम हुआ कि पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा है. माली दौड़ा-दौड़ा चपरासी के पास गया, चपरासी दौड़ा-दौड़ा क्लर्क के पास गया, क्लर्क दौड़ा-दौड़ा सुपरिन्टेंडेंट के पास गया. सुपरिन्टेंडेंट दौड़ा-दौड़ा बाहर लॉन में आया. मिनटों में ही गिरे हुए पेड़ के नीचे दबे आदमी के इर्द-गिर्द मजमा इकट्ठा हो गया. ‘‘बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था,’’ एक क्लर्क बोला. ‘‘इसकी जामुन कितनी रसीली होती थी,’’ दूसरा क्लर्क बोला. ‘‘मैं फलों के मौसम में झोली भरके ले जाता था. मेरे बच्चे इसकी जामुनें कितनी ख़ुशी से खाते थे,’’ तीसरे क्लर्क का यह कहते हुए गला भर आया. ‘‘मगर यह आदमी?’’ माली ने पेड़ के नीचे दबे आदमी की तरफ़ इशारा किया.